Monday 29 October 2012

दिवाली पूजा विधि


जनसाधारण के लिये विधि विधान द्वारा पूजन pujan करना एक दुष्कर कार्य है। जो व्यक्ति कर्मकांड में निपुण होता है, उस व्यक्ति के द्वारा ही यह कार्य कुशलतापुर्वक सम्पन्न किया जाता है। इस पूजन में अनेक मंत्रो Mantras का प्रयोग किया जाता है जो कि संस्कृत sanskrit में होते हैं। इसलिये मंत्रोउच्चारण में त्रुटि की सम्भावना भी रहती है। जो व्यक्ति कर्म कांड से अनभिग्य हैं, वे भी इसे सही तरह से सम्पन्न कर सकते हैं।

Diwali Pujan Vidhi ओम अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोस्ति वा। य: स्मेरत पुण्डरीकांक्ष स बाह्यभ्यन्तर: शुचि: ॥ चौकी के दायीं ओर घी का दीपक प्रज्जवलित करें। इसके पश्चात दाहिने हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर निम्न मंत्रों से स्वस्तिवाचन करें -ओम स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धाश्रवा: स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा:। स्वस्ति नस्ताक्ष्र्यो अरिष्टनेमि:स्वस्तिनो बृहस्पतिर्दधातु॥

Diwali दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त Muhurta में घर में या दुकान में, पूजा घर के सम्मुख चौकी बिछाकर उस पर लाल वस्तर बिछाकर लछ्मी-गणेश की मुर्ति या चित्र स्थापित करें तथा चित्र को पुष्पमाला पहनाएं। मुर्तिमयी श्रीमहालछ्मीजी के पास ही किसी पवित्र पात्रमें केसरयुक्त चन्दनसे अष्टदल कमल बनाकर उसपर द्रव्य-लछ्मी (रुपयों) को भी स्थापित करके एक साथ ही दोनोंकी पूजा करनी चाहिये। पूजन-सामग्री को यथास्थान रख ले। पूजन के लिये पूर्व east या उतर north की और मुख करके बैठें। इसके पश्चात धूप, अगरबती और ५ दीप (5 deepak) शुध्द घी के और अन्य दीप तिल का तेल /सरसों के तैल (musturd oil) से प्रज्वलित करें। जल से भरा कलश Kalash भी चौकी पर रखें। कलश में मौली बांधकर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें। तत्पश्चात श्री गणेश जी को, फिर उसके बाद लछ्मी जी को तिलक करें और पुष्प अर्पित करें। इसके पश्चात हाथ में पुष्प, अक्षत, सुपारी, सिक्का और जल लेकर संकल्प sankalp करें।

दिवाली का इतिहास

दीवाली समारोह के पांच दिन
इस त्योहार के पहले दिन 'धन Trayodashi' या 'धनतेरस' के साथ शुरू होता है. धन्वन्तरि Trayodashi बाद, दीवाली के दूसरे दिन 'Narak चतुर्दशी' कहा जाता है, जो 'छोटी दीवाली' के रूप में लोकप्रिय है. दिवाली, जो भी 'बड़ी दीवाली' कहा जाता है के तीसरे दिन दिवाली के त्योहार के समारोह के मुख्य दिन है. उत्सव के चौथे दिन गोवर्धन पूजा (भगवान गोवर्धन पर्वत की पूजा) के लिए समर्पित है. उत्सव के पांचवें दिन भाई dooj, भाई, बहन के रिश्ते का सम्मान करने के लिए समय है.

धनतेरस इतिहास
दीवाली उत्सव के पहले दिन धनतेरस के द्वारा चिह्नित है. परमेश्वर के चिकित्सक धनतेरस के दिन पर सागर की अमृता की एक पॉट है कि मानव जाति के कल्याण के लिए मतलब था के साथ बाहर आया था, किंवदंतियों के अनुसार देवताओं और राक्षसों, धन्वन्तरि द्वारा सागर के मंथन के दौरान,. इस दिन भी देवी लक्ष्मी जो देवता के छोटे पैरों के निशान चावल आटा और सिंदूर पाउडर के साथ, ड्राइंग द्वारा मनाया जाता है के आगमन का प्रतीक है.

Narak चतुर्दशी इतिहास (छोटी दीवाली)
दीवाली के समारोह के पीछे एक प्रसिद्ध कहानी राक्षस राजा Narakasur, जो Pragjyotishpur के शासक, नेपाल के दक्षिण प्रांत के बारे में है. एक युद्ध के दौरान, वह भगवान इंद्र को हराया और देवी माँ अदिति, जो केवल Suraloka के शासक नहीं था की शानदार झुमके छीन लिया, लेकिन यह भी भगवान कृष्ण की पत्नी के एक रिश्तेदार - सत्यभामा. Narakasur भी उसके अन्त: पुर में देवताओं और संतों की सोलह हजार बेटियों को कैद. दीवाली से एक दिन पहले, भगवान कृष्ण Narakasur मार डाला, जेल में बंद बेटियों जारी और देवी माँ अदिति कीमती झुमके बहाल.

दीवाली और Ayodhyaa श्री राम
प्रभु श्री राम - दीवाली के समारोह के पीछे सबसे प्रसिद्ध कथा अयोध्या नगरी के राजकुमार के बारे में है. पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीलंका के राजा, रावण, जंगल, जहां वे राजा Dashratha, भगवान राम के पिता के निर्देशों के अनुसार के रूप में रह रहे थे से भगवान राम की पत्नी (सीता) का अपहरण कर लिया. तब राम लंका पर हमला, रावण को मार डाला और हिरासत से सीता को जारी. वह अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई Lakshamana के साथ चौदह साल बाद अयोध्या लौटे.

इसलिए, Ayodhyaa के लोगों को अपने घरों के रूप में Ayodhyaa के रूप में अच्छी तरह से छोटे दीये प्रकाश, क्रम में अपने प्रेमी राजकुमार श्री राम और देवी सीता का स्वागत करते हैं, सजाया. यह की 'कार्तिक Amavasyaa' दिन है जब वे भी श्रीलंका, रावण के राजा पर श्री राम की जीत का जश्न मनाया था. राम अच्छा और सकारात्मक बातों का प्रतीक माना जाता है और रावण बुराइयों का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए, दीवाली उत्सव माना जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत स्थापित. दीवाली, लोगों को प्रकाश दीये, जो फिर से सकारात्मक ऊर्जा का एक आइकन अंधेरे को जीत की रात, नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है.

गोवर्धन पूजा इतिहास
'गोवर्धन' एक छोटे से मथुरा के पास, 'ब्रज' पर स्थित पहाड़ी है. विष्णु Puraan में किंवदंतियों यह है कि गोकुल के लोगों के लिए पूजा करते हैं और बारिश के लिए भगवान इंद्र के लिए प्रार्थना करते थे, क्योंकि वे मानते हैं कि यह वह थे, जो उनके कल्याण के लिए वर्षा के लिए जिम्मेदार था. हालांकि, भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया कि यह माउंट (गोवर्धन Paevat) गोवर्धन और नहीं भगवान इंद्र था, जो बारिश के कारण होता है. इसलिए, वे पूर्व और बाद नहीं पूजा करनी चाहिए.

लोग वही किया, जो भगवान इंद्र इतना उग्र है कि गोकुल के लोगों को अपने क्रोध की वजह से भारी वर्षा का सामना करना पड़ा. भगवान कृष्ण आगे आए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और पूजा और प्रार्थना की पेशकश करने के लिए गोवर्धन माउंट प्रदर्शन के बाद, वह यह एक छतरी के रूप में उसके दाहिने हाथ की छोटी उंगली पर उठा लिया, इतना, कि हर कोई इसे नीचे शरण ले सकता है. इस घटना के बाद, भगवान कृष्ण भी गिरिधारी या Govardhandhari के रूप में जाना जाता था.

भाई dooj इतिहास
किंवदंतियों के अनुसार, भगवान Yamraj, मृत्यु के देवता, 'शुक्ला पक्ष द्वितीया के दिन पर' कार्तिक 'के हिंदी महीने में उसकी बहन यमुना का दौरा किया. जब Yamraj यमुना घर पर पहुंच गया है, वह उसे अपने आरती प्रदर्शन द्वारा स्वागत किया, उसके माथे पर और उसके गले में एक माला डालने से 'तिलक' लगाने. यमुना भी व्यंजन की किस्मों पकाया जाता है, उसके भाई के लिए कई मिठाई तैयार और उसे करने के लिए उन सभी की पेशकश की.

भगवान Yamraj उन सभी स्वादिष्ट व्यंजन खाया और जब वह समाप्त हो गया था, वह यमुना पर आशीर्वाद की बौछार और उसे एक वरदान दिया कि अगर एक भाई इस दिन पर उसकी बहन का दौरा किया है, वह स्वास्थ्य और धन के साथ ही धन्य किया जाएगा. यही कारण है कि इस दिन Bhayya Duj भी की 'रतालू Dwitiya' नाम से जाना जाता है. इस प्रकार, यह एक परंपरा है कि भाइयों के लिए भाई - dooj के दिन पर उनकी बहनों के घर की यात्रा करने के लिए और उन्हें उपहार प्रदान बन गया है. बहनों को अपने भाइयों के लिए भी विभिन्न व्यंजन बनाने और उन्हें उपहार दे.

सिख समुदाय दीवाली के इतिहास
सिख समुदाय में दिवाली समारोह में विशेष महत्व है के रूप में उनके लिए यह दिन जब अपने छठे गुरु, गुरु हर गोविंद जी ग्वालियर शहर के किले की कैद से वापस आया के रूप में लोकप्रिय है. लोगों को श्री Harmandhir साहिब, जो 'स्वर्ण मंदिर' के नाम से जाना जाता है, के लिए अपने रास्ते के लिए सम्मान और उनके प्रिय गुरु का स्वागत करते हैं में दीपक प्रबुद्ध.

जैन समुदाय दीवाली के इतिहास
जैन समुदाय के लिए दिवाली के त्योहार में विशेष महत्व है. यह दिन है जब प्रसिद्ध जैन नबी Bhagvaan महावीर, जैन धर्म के संस्थापक, 'निर्वाण' प्राप्त है. इसलिए, जैन समुदाय के लोगों को भगवान महावीर की स्मृति में दिवाली के त्योहार को मनाने.

Sunday 12 August 2012

श्रीं महालक्ष्मैय नम:

ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये मह्यं प्रसीद प्रसीद प्रसीद ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मैय नम:

तंत्र-मंत्र-यंत्र

हर समस्या का करे अंत, श्रीकृष्ण के विशेष मंत्र

 बाल-गोपाल श्रीकृष्ण के मंत्र ना सिर्फ आर्थिक समस्या दूर करते हैं बल्कि जीवन की हर परेशानी में कान्हा के चमत्कारी मंत्र सहायक सिद्ध होते हैं। चाहे संतान प्राप्ति हो या घर में होने वाले कलह, लव मैरिज हो या विजय प्राप्ति की अभिलाषा, हर समस्या का अंत करते हैं श्रीकृष्ण के प्रस्तुत मंत्र :


श्रीकृष्‍ण के तुरंत असरकारी धन प्राप्ति मंत्र

श्रीकृष्ण के विभिन्न मंत्रों के जाप से धन-संपदा-सुख-सौभाग्य-सौन्दर्य की प्राप्ति होती है। शुभ प्रभाव बढ़ाने व सुख प्रदान करने में यह मंत्र अत्यंत प्रभावी माने गए हैं। पाठकों की सुविधा के लिए हमने मंत्र से संबंधित जानकारी भी यहां दी है।

विष्णुसहस्रनाम : 1000 नामों की महिमा
विष्णुसहस्रनाम भगवान विष्णु के हजार नामों से युक्त एक प्रमुख स्तोत्र हैं, विष्णु सहस्रनाम हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र तथा प्रचलित स्तोत्रों में से एक हैं- पढ़‍िए विष्णुसहस्रनाम स्तोत्रम्‌!


चैत्र नवरात्रि में कैसे करें मंत्र सिद्धि
 चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 23 मार्च, शुक्रवार से प्रारंभ हो गई है। सिद्धि प्राप्त करने के लिए सदियों से चैत्र नवरात्रि को ही उत्तम माना गया है। मां की आराधना अब की बार नौ दिन नहीं बल्कि पूरे दस दिन मिलेगी क्योंकि पंचमी तिथि की वृद्धि होने से साधना का एक और दिन का मिलना फायदेमंद रहेगा।


 होली पर करें राशिनुसार मंत्र जाप
होली पर करें राशिनुसार मंत्र जाप


रंगबिरंगी होली के पावन पर्व पर पेश है आपके लिए आपकी राशि के अनुसार खास मंत्र जाप। यह मंत्र आपके जीवन के सारे दुखों को दूर करके सुख-समृद्धि और खुशियों से आपके जीवन में रंग भर देंगे।
आसान अचूक शिव-मंत्र
आसान अचूक शिव-मंत्र


आशुतोष भगवान शिव को प्रसन्न करने के अत्यंत सरल और अचूक मंत्र। इन मंत्रों का प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए। जप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। जप के पूर्व शिवजी को बिल्व पत्र अर्पित करना या उनके ऊपर जलधारा लगाना चाहिए।
सोमवती अमावस्या पर करें मंत्र जप
सोमवती अमावस्या पर करें मंत्र जप


शास्त्रों में वर्णित है कि माघ महीने में नदी, सरोवर के जल में स्नान कर सूर्य को गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए अर्घ्य देना चाहिए। यह क्रिया आपको अमोघ फल प्रदान करेगी। लेकिन जो लोग घर पर स्नान करके अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करना चाहिए।
मानो या ना मानो नजर लगती है
मानो या ना मानो नजर लगती है


भगवती गायत्री की साधना कर मंत्र को सिद्ध कर लें फिर आप किसी भी बालक की नजर को झाड़ सकते हैं। अवश्य सफलता प्राप्त होगी। यह अचूक प्रयोग है। उपरोक्त मंत्र विश्वास के साथ करें। कार्य अवश्य होगा। मंत्र पढ़ते हुए मोर के पंख से बाल के सिर से पैर तक झाड़ दें। इस क्रिया से बालक की नजर उतर जाएगी और बालक स्वस्थ हो जाएगा।

परम कल्याणकारी महामृत्युंजय जप : संस्कृत पाठ
परम कल्याणकारी महामृत्युंजय जप : संस्कृत पाठ


महामृत्युंजय जप का घोर विपदा की अवस्था में विशेष महत्व है। विशेष रूप से मृत्युतुल्य कष्ट में इसका पारंपरिक अनुष्ठान किया जाता है। बारह ज्योतिर्लिंगों में खास जिनका तिल भर महत्व ज्यादा है ऐसे श्री महाकालेश्वर भगवान का इस मंत्र से अभिषेक-अर्चन आदि किया जाता है। प्रस्तुत है इस परम पवित्र मंत्र का संस्कृत पाठ

भगवान ‍शनि के प्रमुख मंत्र


शनि स्त्रोत, शनि मंत्र, शनि वज्रपिंजर कवच तथा महाकाल शनि मृत्युंजय स्त्रोत का पाठ करने से जिन जातकों को शनि की साढ़ेसाती व ढैया चल रहा है, उन्हें मानसिक शांति, कवच की प्राप्ति तथा सुरक्षा के साथ भाग्य उन्नति का लाभ होता है। सामान्य जातक जिन्हें ढैया अथवा साढ़ेसाती नहीं है, वे शनि कृपा प्राप्ति के लिए अपंग आश्रम में भोजन तथा चिकित्सालय में रुग्णों को ब्रेड व बिस्किट बांट सकते हैं।
पुत्र की प्राप्ति के लिए रखें मंगलवार को व्रत



हर दंपत्ति की कामना होती है कि उनको सुयोग्य संतान हो। लेकिन कुछ ऐसे लोग आज भी इस दुनिया में है जो मात्र पुत्र को ही संतान के रूप में चाहते हैं। ऐसे लोगों के लिए प्रस्तुत है अचूक उपाय। मंगलवार का उपवास रखने से मनचाही संतान की प्राप्ति होती है। मुख्यत: पुत्र की चाह रखने वालों के लिए यह मंगलवार व्रत होता है। मंगलवार व्रत कथा और विधि की संपूर्ण जानकारी पढ़ें।
हनुमान उपासना के उपाय एवं मंत्र


भगवान रामभक्त हनुमान की उपासना से जीवन के सारे कष्ट, संकट मिट जाते है। माना जाता है कि हनुमान एक ऐसे देवता है जो थोड़ी-सी प्रार्थना और पूजा से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते है। मंगलवार और शनिवार का दिन इनके पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं....

Mahakali Mantras for pain relief


Below is the Mahakali Mantra for pain relief according Hindu Mythology. This Mantra is more powerful to get reliefs from pains in the life.

Mantra
Kali kali mahakali nomostute han han daha daha shulam trishulen hum fatt swaha ll

मंत्र
कालि कालि महकालि नमोस्तुते हन हन दह दह शूलं त्रिशुलेन हुं फ़ट् स्वहा ll

महाकाली मंत्र



काली तारा महाविधा षोडशी भुवनेश्वरी ।
भैरवी छिन्नमस्ता च विद्धा घूमावती तथा ।।
बगला सिद्धिविद्धा च मांतगी कमलात्मिका ।
एता दश महाविद्धा: सिद्धिविधा: प्रकीर्तिता: ।।



शवारुढा महाभीमां घोरद्रंष्टां हसन्मुखीम ।
चतुर्भुजां खडगमुण्डवराभय करां शिवाम।।
मुण्डमालाधरां देवीं ललजिह्वां दिगम्बराम।
एवं संचिन्तयेत कालीं श्मशानालयवासिनीम ।।



या देवी सर्वभुतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्ये नमस्त्स्य नमस्तस्ये नमो नम: ।।

When is Dussehra in 2012

Dussehra in 2012 is on Wednesday, the 24th of October.

Friday 16 March 2012

माता संतोषी की आरती

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।
मैया जय सन्तोषी माता ।



सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हो
मैया माँ धारण कींहो
हीरा पन्ना दमके तन शृंगार कीन्हो
मैया जय सन्तोषी माता ।



गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे
मैया बदन कमल सोहे
मंद हँसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहे
मैया जय सन्तोषी माता ।



स्वर्ण सिंहासन बैठी चँवर डुले प्यारे
मैया चँवर डुले प्यारे
धूप दीप मधु मेवा, भोज धरे न्यारे
मैया जय सन्तोषी माता ।



गुड़ और चना परम प्रिय ता में संतोष कियो
मैया ता में सन्तोष कियो
संतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो
मैया जय सन्तोषी माता ।



शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सो ही,
मैया आज दिवस सो ही
भक्त मंडली छाई कथा सुनत मो ही
मैया जय सन्तोषी माता ।



मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई
मैया मंगल ध्वनि छाई
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई
मैया जय सन्तोषी माता ।



भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै
मैया अंगीकृत कीजै
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै
मैया जय सन्तोषी माता ।



दुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त किये
मैया संकट मुक्त किये
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिये
मैया जय सन्तोषी माता ।



ध्यान धरे जो तेरा वाँछित फल पायो
मनवाँछित फल पायो
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो
मैया जय सन्तोषी माता ।



चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे
मैया रखियो जगदम्बे
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे
मैया जय सन्तोषी माता ।



सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे
मैया जो कोई जन गावे
ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे
मैया जय सन्तोषी माता ।

Saturday 10 March 2012

Shani Chalisa in Hindi

श्री शनि चालीसा

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुःख दूर करि , कीजै नाथ निहाल ॥1॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु , सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय , राखहु जन की लाज ॥2॥

जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै ॥

परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवन चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमकै ॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥
पिंगल, कृष्णो, छाया, नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन ॥

सौरी, मन्द शनी दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥
जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं । रंकहुं राव करैं क्षण माहीं ॥

पर्वतहू तृण होइ निहारत । तृणहू को पर्वत करि डारत ॥
राज मिलत वन रामहिं दीन्हयो । कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥

वनहुं में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चुराई ॥
लषणहिं शक्ति विकल करिडारा । मचिगा दल में हाहाकारा ॥

रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥
दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका ॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी ॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलहिं घर कोल्हू चलवायो ॥
विनय राग दीपक महँ कीन्हयों । तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी ॥
तैसे नल पर दशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी ॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई । पारवती को सती कराई ॥
तनिक विकलोकत ही करि रीसा । नभ उड़ि गतो गौरिसुत सीसा ॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रोपदी होति उधारी ॥
कौरव के भी गति मति मारयो । युद्ध महाभारत करि डारयो ॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला ॥
शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥
जम्बुक सिह आदि नख धारी । सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै ॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा । सिह सिद्ध्कर राज समाजा ॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥
जब आवहिं स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी ॥

तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥

समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्वसुख मंगल भारी ॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत ॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥

॥ दोहा ॥

पाठ शनिश्चर देव को, की हों 'भक्त' तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥

॥इति श्री शनि चालीसा॥

Tuesday 7 February 2012

Astrological Animals five factor in our life

1. Cow: If you feed the cow it will releife you from the family problem.

2. Dog: If you feed the dog, it will help you to defeat your enemies accroding to the hindu astrology.

3. Sparrows:  If you feed the sparrows, it will bring the prosperity into your business according hindu
mythology.

4. Antes: if you feed the sugar then it will be minize and releif from your debts.

5. Fishes: If we feed the fishes, according to indian astrology we can recover the lost thing.

Saturday 28 January 2012

Vasant Panchami

Vasant Panchami comes in the the Spring Festival that is observed in the month of February or March especially in North India.

Throughout the India, this festival is celebrated with the great zeal and zest.
In Bihar, Vasant Panchami is celebrated with full swing in every year.

On this day yellow color is considered lucky as it signifies spirituality and therefore people wear clothes, apply frontal mark, offer flowers to God, and prepare dishes all of yellow color. In various forms and names, Goddess Saraswati is worshipped in West Bengal. On this day many fairs are organized, people fly kites and fields also look mustard yellow after ripening.

Monday 2 January 2012

Makar Sankranti Festival

Tithi (Date)

Makar Sankranti Festival is not dependent on the position of the moon, but on position of the sun. On the eve of Makar Sankranti, the sun enters the zodiac sign of Capricorn. To compensate for the difference that occurs due to the revolution around the sun, every eighty years the day of Makar Sankranti is postponed by one day.

History

Sankranti is considered a Deity. According to a legend Sankranti killed a demon named Sankarasur.The day followed by Makar sankrant is called Kinkrant or Karidin. On Makar Sankranti, the female deity (devi) slayed the demon Kinkarasur.

Information

Information on Sankranti is available in the Panchang: The Panchang (Hindu Almanac) provides information on the form, age, clothing, direction of movement etc. of Makar Sankranti . This information is appropriate to the changes taking place in Her according to time. He who is touched by Goddess Makar Sankranti  gets destroyed.

To Hindus, the Sun stands for knowledge, spiritual light and wisdom. Makar Sankranti signifies that we should turn away from the darkness of delusion in which we live, and begin to enjoy a new life with bright light within us to shine brighter and brighter. We should gradually begin to grow in purity, wisdom, and knowledge, even as the Sun does from the Day of Makar Sankranti.
The festival of Makar Sankranti is highly regarded by the Hindus from North to down South. The day is known by various names and a variety of traditions are witnessed as one explores the festival in different states.